
आपने जरूर हिंदी के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का नाम सुना होगा। मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi Premchand ka Jeevan Parichay) हर व्यक्ति को जानना चाहिए ताकि वह साहित्य की खूबसूरती को समझ सके। इनका जन्म वाराणसी में 1880 के दशक में हुआ था। उस वक्त इनका नाम धनपत राय था जो आगे चलकर मुंशी प्रेमचंद के नाम से अमर बना। ऐसा इस वजह से था क्योंकि बहुत ही छोटी उम्र से उर्दू में नवाब राय और हिंदी विषय में मुंशी प्रेमचंद के नाम से इन्होंने बहुत सारी कहानियां लिखी थी।
मुंशी प्रेमचंद एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। मगर आगे चलकर उनके साहित्य और कहानी अधिक पैसा इकट्ठा नहीं कर पाई, जिस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब हो गई। आज इस लेख में हम मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय और उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं के बारे में जानेंगे।
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय:
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम अजायब राय था और माता का नाम आनंदी देवी था। बचपन में इनका वास्तविक नाम धनपत राय रखा गया था। जब इन्होंने उर्दू में कहानी लिखना शुरू किया तब अपना नाम नवाब राय लिखा करते थे। दूसरी तरफ जब हिंदी में कहानी लिखते थे तो अपना नाम मुंशी प्रेमचंद लिखते थे। इन्होंने अपना जीवन पेशे के तौर पर लेखक, पत्रकार और अध्यापक के रूप में बिताया है।
धनपत राय के दादाजी गुरु सहाय राय पटवारी पटवारी थे। इनके पिता अजायब राय डाकघर में पोस्ट मास्टर का काम करते थे। उस वक्त यह एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार के रूप में जीवन यापन करते थे। जब मुंशी प्रेमचंद 7 वर्ष के थे तब उनकी माता की मृत्यु हो गई उसके बाद जब वह 9 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।
इस वजह से उनका जीवन बचपन से बहुत ही कष्टदाई हो गया था। बचपन से ही आर्थिक स्थिति के बोझ के नीचे एक छोटा सा बच्चा दब गया था। उस दौर में उन्होंने दुनिया का असली चेहरा देखा और उस बच्चे ने अपने मन की दुनिया और वास्तविक दुनिया को देखते हुए कुछ कहानियों को पन्ने पर लिखा। उनकी उस कालजई रचनाओं को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे ऐसा वास्तव में कहीं घटित हुआ होगा।
प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय:
साहित्य की दुनिया में प्रेमचंद नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में एक दर्जन से ज्यादा उपन्यास और 300 से अधिक छोटी-मोटी कहानियों की रचना की है। प्रेमचंद्र बहुत ही छोटी उम्र से उर्दू और हिंदी भाषा में कहानियों को लिखना शुरू किया था। अगर उनके कहानी लिखने के प्रेरणा की बात करें, तो उन्होंने बताया है कि उनका वैवाहिक जीवन उतना अच्छा नहीं था।
जिस जवानी में उन्हें श्रृंगार रस का अनुभव होना चाहिए था उस वक्त उन्हें विभक्त रस का अनुभव होता था। इस वजह से मुंशी जी अपने ही ख्यालों में खोए रहते थे, और यहां से एक लेखक का जन्म हुआ जिसे दुनिया ने अमर बना दिया।
साहित्य में खूबसूरत कहानियों की रचना करने के अलावा उन्होंने माधुरी एवं मर्यादा नामक पत्रिकाओं में भी काम किया। इसके अलावा हंस और जागरण नाम का एक बड़ा पत्र भी लिखा।
प्रेमचंद ने अपना साहित्य का सफर उर्दू भाषा से शुरू किया था। मगर जब प्रेमचंद को यह एहसास हुआ कि ज्यादातर लोग हिंदी भाषा पढ़ना पसंद करते है। तो उन्होंने एक के बाद एक 18 उपन्यासों को हिंदी भाषा में मुंशी प्रेमचंद के नाम से लिखा। उनके कुछ प्रचलित उपन्यासों में गबन, गोदान, मानसरोवर आता है। इसके अलावा कहानी रचनाओं की बात करें तो – प्रेम की वेदी, ईदगाह, बूढ़ी काकी, संग्राम, कर्बला, कुछ विचार आदि हैं।
प्रेमचंद का पहला उपन्यास:
आपको जानकर आश्चर्य होगा मगर साहित्य की दुनिया में मुंशी प्रेमचंद का नाम सबसे पहले नवाब राय के रूप में प्रचलित हुआ था। सबसे पहले वे केवल उर्दू में लिखते थे, और 1919 में बाजार ए हुस्न नाम के उपन्यास ने उन्हें खूब प्रचलित किया। कोलकाता के एक पब्लिशर ने उन्हें खुद इस उपन्यास को हिंदी भाषा में ट्रांसलेट करने के लिए ₹450 दिए थे। इस किताब का हिंदी संस्करण सेवा सदन के नाम से प्रचलित हुआ।
मुंशी प्रेमचंद का पहला उपन्यास सेवा सदन था, जो 1919 में कोलकाता से प्रकाशित किया गया था। इस किताब ने उन्हें काफी मान सम्मान दिया था। इसके बाद गबन गोदान कर्मभूमि और मानसरोवर की वजह से उन्होंने बहुत ख्याति हासिल की।
मगर उपन्यासों के अलावा कुछ छोटी कहानियों में भी उन्होंने खूब मान सम्मान कमाया है। इसमें मुख्य रूप से दो बैलों की कथा, कफन, ईदगाह, कप्तान साहब, क्रिकेट मैच जैसे कुछ प्रचलित रचनाएं शामिल है।
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प्रेमचंद की कुछ प्रमुख रचनाएं (Munshi Premchand ki Rachnaye in Hindi):
मुंशी प्रेमचंद अपनी अलग-अलग उपन्यास और कहानियों की वजह से हमें हमेशा याद रहेंगे। उनकी कुछ सर्वश्रेष्ठ रचनाओं को नीचे सूचीबद्ध किया गया है। अगर आप मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास और उनकी कहानियों के बारे में जानना चाहते हैं तो नीचे दी गई सूची को पढ़ें –
मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की सूची-
- कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला
- घमण्ड का पुतला
- कर्मों का फल
- क्रिकेट मैच
- कवच
- क़ातिल
- आत्माराम
- दो बैलों की कथा
- ईदगाह
- कप्तान साहब
- गैरत की कटार
- आल्हा
- इज्जत का खून
- इस्तीफा
- गुल्ली डण्डा
मुंशी प्रेमचंद के प्रमुख उपन्यासों की सूची (Munshi Premchand ke Upanyas)-
- सेवा सदन
- रूठी रानी
- मंगलसूत्र
- वरदान
- प्रेमाश्रम
- रंगभूमि
- निर्मला
- प्रतिज्ञा
- कर्मभूमि
- गबन
- गोदान
प्रेमचंद की लेखन शैली:
अगर हम मुंशी प्रेमचंद के लेखन शैली की बात करें तो वह बहुत ही सरल और आसान शब्दों में होती थी। इस वजह से मुंशी प्रेमचंद की लिखी हुई कहानी और उपन्यास लोगों को बहुत अच्छी लगती थी।
अपनी कहानियों में उन्होंने रोजमार्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का बहुत अधिक इस्तेमाल किया है। कहानियों में कुछ ऐसे मुहावरे का भी इस्तेमाल किया है जिसे पढ़कर आप उस कहानी को अपने जीवन का एक हिस्सा समझने लगेंगे।
सरल आसान और व्यक्तिगत व्यवहार से मिलता-जुलता एक ऐसा कहानी वो लिखते थे जिसे पढ़कर लगता था जैसे यह घटना नहीं घटित हुई है या कहीं घटित होने वाली है। यही कारण है कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को कालजई रचना कहा जाता है। इसका तात्पर्य है कि उनकी कहानियों पर समय का कोई असर नहीं होता आप चाहे किसी भी जमाने में जी रहे हो इनकी कहानी आज भी आपके जीवन का एक हिस्सा बन जाएगी।
निष्कर्ष:
आज इस लेख में हमने आपको मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है। इस लेख को पढ़कर आप आसानी से समझ सकते हैं कि मुंशी प्रेमचंद का जीवन कैसा था और किस तरह के उपन्यास और कहानियों की वजह से आज वह जाने जाते है। अगर यह लेख लाभदायक लगा है तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें।