मुंशी प्रेमचंद की पांच सर्वश्रेष्ठ कहानियां | Munshi Premchand Ki Kahaniyan

By | August 15, 2023
मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां

Munshi Premchand Ki Kahaniyan – मुंशी प्रेमचंद हिंदी भाषा के एक सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार है। आज हम आपको प्रेमचंद की कहानियां बताने वाले हैं। प्रेमचंद जी ने उर्दू और हिंदी भाषा में कई रचनाएं प्रस्तुत की है। हम प्रेमचंद जी को उनके हिंदी के 18 उपन्यास और 300 से अधिक कहानियों के कारण जानते है। इनका नाम धनपत राय था और इनका जन्म वाराणसी में 1880 में हुआ था। व्यक्तिगत जीवन में प्रेमचंद जी पत्रकार अध्यापक और लेखक के रूप में खूब प्रचलित थे। मगर आर्थिक रूप से इनकी स्थिति अक्सर खराब ही रही थी।

हम आपको मुंशी प्रेमचंद की कुछ पांच सर्वश्रेष्ठ रचनाओं के बारे में बताने जा रहे है। अगर आप Munshi Premchand Ki Kahaniyan ढूंढ रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है। नीचे उनकी प्रचलित और सर्वश्रेष्ठ कहानियों की एक सूची प्रस्तुत की गई है।

मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

प्रेमचंद ने अपने जीवन में 300 से अधिक कहानियों की रचना की है। इसमें से कुछ कहानी जैसी बूढ़ी काकी ईदगाह इतनी प्रचलित हुई है कि आज उसे बच्चा-बच्चा जानता है। इनकी कहानियां हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक हिस्सा बन जाती है इस वजह से ना केवल मुंशी प्रेमचंद की कहानी हमें कुछ सिखाती है बल्कि जीवन का एक अलग ही प्रारूप हमारे समक्ष खोल कर रखती है।

मुंशी प्रेमचंद की कुछ सर्वश्रेष्ठ कहानियां के बारे में नीचे सूचीबद्ध जानकारी दी गई है। प्रेमचंद्र जी ने अपने जीवन में जितनी भी बेहतरीन कहानियों की रचना की है उन्हें नीचे बताया गया है।

  • नमक का दरोगा
  • कफन
  • नरक का मार्ग
  • घमंड का पुतला
  • कोई दुख ना हो तो एक बकरी खरीद ला
  • वफा का खंजर
  • माता का हृदय
  • पूस की रात
  • दो बैलों की कथा
  • शुद्र
  • लैला
  • अपनी करनी

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प्रेमचंद की सबसे छोटी कहानी

मुंशी प्रेमचंद जी की सबसे छोटी कहानी बंद दरवाजा है। मुंशी प्रेमचंद जी कुछ कहानियों को लिखकर एक किताब के रूप में प्रकाशित करते थे। अलग-अलग कहानियों के संग्रह में इस कहानी को प्रेम चालीसा से प्राप्त किया गया है।

यह कहानी जितनी छोटी है इसका भाव उतना ही गहरा है। इस कहानी के जरिए मुंशी प्रेमचंद जी यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि हमारे जीवन में जब तक विकल्प हमारे सामने मौजूद होता है हम खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। उन्होंने एक बच्चे के हाव-भाव के जरिए यह समझाने का प्रयास किया है कि किस तरह बचपन से ही हमारे मन में यह गुण होता है। अगर कोई विकल्प खत्म होगा तो हमें सबसे ज्यादा लगाओ उस विकल्प से होगा।

प्रेमचंद की सबसे छोटी कहानी – बंद दरवाजा

इसमें मुंशी प्रेमचंद जी बताते हैं कि एक बार वह अपने बरामदे में बैठे थे। घर से निकलकर एक छोटा सा बच्चा बरामदे में आ जाता है और रखी हुई चीजों से खेलने लगता है। वह बच्चा कभी कागज कभी कलम कभी लकड़ी उठाकर खेल रहा था। तभी उसके पास एक चिड़िया आती है जिसे देखकर वह अपना सारा खिलौना फेंक देता है और उसे चिड़िया की ओर लापता है। चिड़िया उड़ जाती है तो वह रोने लगता है।

इस वक्त एक फेरीवाला घर के पास से गुजरता है। बच्चे उसे देख कर करुणा भरी नजरों से प्रेमचंद जी से अपील करता है। उनका मानना है कि बच्चों को बाहर की चीजें नहीं खानी चाहिए इस वजह से वह उस फेरीवाले को नहीं रुकवाते हैं। मगर जब तक वह फ्री वाला बच्चे के आंख से ओझल नहीं होता तब तक वह बच्चा करुणा भरी नजरों से देखता रहता है। जब वह फेरीवाला चला जाता है तो वह बच्चा जोर-जोर से रोने लगता है।

उसका रोना चुप करने के लिए उसके हाथ में एक फाउंटेन पेन दे देते हैं। उस पेन को देखते ही बच्चा खुश हो जाता है और रोना भूल जाता है। अब तक बच्चे का ध्यान दरवाजे की तरफ एक बार भी नहीं गया था। लेकिन तभी हवा से दरवाजा बंद हो जाता है, और जब ऐसा होता है तो बच्चा दरवाजे की तरफ दौड़ता है और रोने लगता है।

मुंशी प्रेमचंद की 5 छोटी कहानियां

मुंशी प्रेमचंद जी की अलग-अलग कहानी हमें बहुत पसंद है। उन्होंने अपने जीवन में अलग-अलग प्रकार की कहानियों की रचना की है। उसमें से पांच छोटी कहानी जो बहुत ही प्रचलित है उसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है –

पूस की रात

इस कहानी में किसानों की दैन्य स्थिति को दिखाया गया है। किस तरह ठंड के दिन में एक कंबल किस जुगाड़ नहीं कर पता है और ठंड में अपने खेत की मेठ पर बैठकर अपने खेत की रखवाली कड़ाके की सर्दी में बिना किसी कंबल के करता है।

दो बैलों की कथा

दो बैल हीरा और मोती के नाम से एक किसान के पास थे। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह उन दोनों बैलों को बेच देता है मगर अलग-अलग मालिक के पास दोनों बैल नहीं रह पाते है। इस वजह से दोनों बैलों का प्रेम इस कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह दो जानवर एक दूसरे से मिलने के लिए आते हैं।

कफन

यह इंसान की फितरत को दिखाता है। एक ऐसा इंसान जिसे काम करना पसंद नहीं है वह किसी की मौत का फायदा उठाकर रोज लोगों से भीख मांग सकता है। कफन का पैसा लोग करुणा में देते हैं और वह उसका इस्तेमाल गलत तरीके से करता है।

बांका जमींदार

एक कत्ल का मुकदमा जीतने के एवज में वकील को एक ऐसी चीज मिल जाती है जिस के इंतजार में वह वर्षों से बैठा हुआ है। उसके बाद वह किस तरह अपना रंग बदलता है इसकी कहानी इसमें बताई गई है।

प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां | Munshi Premchand Ki Kahaniyan

मुंशी प्रेमचंद की कुछ प्रचलित कहानियों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है। अगर आप उनकी कहानियों को सरल भाषा में पढ़ने और समझना चाहते हैं तो नीचे बताए गए सभी कहानियों को ध्यान से समझे –

मुंशी प्रेमचंद की कहानी बूढ़ी काकी

कहानी और उपन्यास के सम्राट माने जाने वाले मुंशी प्रेमचंद जी ने एक छोटी सी कहानी बूढ़ी काकी के नाम से लिखी है। इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद जी यह समझाने का प्रयास कर रहे है की किस तरह लोग केवल आपके धन दौलत के भूखे होते हैं उसके बाद वह आपको नहीं पूछते है।

एक बूढ़ी काकी थी उनके परिवार में कोई नहीं था। उनके बाल बच्चे बहुत ही पहले इस दुनिया से जा चुके थे। उनका केवल दूर का भतीजा था जिसका नाम बुद्धिराम था। उसने बूढ़ी काकी से बहुत ही प्यार से बात किया और अलग-अलग प्रकार का प्रलोभन देकर के उनकी सारी संपत्ति अपने नाम करवा ली। इसके बाद वे बूढ़ी काकी को नहीं पूछते थे उन्हें खाने-पीने के लिए बुरी तरह दर्शा कर रखा था।

बूढ़ी काकी को अच्छे-अच्छे चीजें खाने का बहुत शौक था लेकिन उन्हें सूखी दाल रोटी के अलावा और कुछ नहीं मिलता था। कभी-कभार वह उन्हें खाना देना भी भूल जाते थे। उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी थी। दोनों बेटे बूढ़ी काकी को चिढ़ाते थे और उन्हें परेशान करते थे। मगर उनकी बेटी बहुत अच्छी थी, उसे सब लाडो बुलाते थे वह बूढ़ी काकी के साथ बहुत अच्छे से रहती थी और शाम के वक्त कुछ चना चबाना लेकर उनके पास आ जाती थी।

एक बार घर में शादी विवाह का प्रयोजन लगा, उसमे अलग-अलग प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बना रहे थे बुधी काकी इसे देखकर काफी ललचा रही थी। बूढ़ी काकी अच्छा स्वादिष्ट खाना खाना चाहती थी मगर बुद्धि राम ने आकर उसे खूब सुनाया और एक कमरे में बंद करके चला गया। जब रात में प्रयोजन खत्म हो गया तो बच्चे थोड़ा सा खाना लेकर बुधी काकी के पास आई। मगर उसे भोजन से कई का पेट नहीं भरा तो उसने बच्ची से कहा कि उसे उसे जगह पर लेकर चले जहां लोग खाना खा रहे थे। वह बूढ़ी काकी बचा कुचा गिरा हुआ खाना उठा कर खा रही थी, उसी वक्त अचानक रात में बुद्धि राम की पत्नी रूपा का नींद खुलता है। वह आवाज सुनकर बाहर आती है तो देखती है कि बूढ़ी काकी कचरे के ढेर में से खाना चुरा कर खा रही है। यह देखकर उसका मनपसंद जाता है और वह रोने लगती है।

वह समझ जाती है कि बूढ़ी काकी के धन दौलत से ही उनका घर चल रहा है मगर उन्होंने उनकी हालत कितनी खराब कर रखी है। इस वजह से वह बुधी काकी से माफी मांगती है और उन्हें अच्छा खाना खिलाती है और अपनी गलती पर पछताते हैं।

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ईदगाह

इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद जी ने एक बच्चे की जिम्मेदारी और उसके विचार को सरल शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। मुंशी प्रेमचंद जी ने इस कहानी में बताया है कि एक छोटा बच्चा अपनी मां के साथ एक गांव में रहता था।

उसकी मां बहुत मेहनत से पैसा कमाती थी और अपने बच्चे को पालती थी। वह रोज देखता था कि कैसे रोटी बनाते वक्त उसकी मां का हाथ जल जाता था। इस बारे में वह छोटा बच्चा अक्सर सोचते रहता था एक दिन गांव में ईदगाह का मेला लगा। ईदगाह के उस मेले को देखने के लिए गांव के सभी बच्चे गए थे उसकी मां ने भी कुछ पैसे जुटाकर बच्चे को दिया था। जब बच्चा मेला घूमने गया तो वहां उसने अलग-अलग प्रकार की चीजों को देखा जो उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

वह चाहता था कि वह अपने लिए खिलौने और अलग-अलग प्रकार की चीजें खरीदें। मगर तभी उसे याद आया कि कैसे उसकी मां का हाथ रोटी बनाते वक्त जल जाता था। तो इसलिए अपनी मां की मदद करने के लिए उसने ईदगाह के मेले से एक चिमटा खरीदा।

जब वह चिमटा लेकर घर आया तो उसकी मां की आंखों में आंसू आ गए। उसने बताया कि वह अपनी मर्जी मदद करने के लिए या चिमटा लाया है। बच्चों की करुणा और अपने मां के प्रति स्नेह को देखकर उसकी मां की आंखें भर आई।

मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर

यह मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखिए बहुत ही प्रचलित कहानी है जिसमें गांव की न्याय व्यवस्था को दर्शाने का प्रयास किया है। गांव में किस प्रकार न्याय होता है और किस तरह पंचायत प्रक्रिया कार्य करती है इसके बारे में विस्तार से जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

इस कहानी की शुरुआत दो दोस्तों से होती है जिनका नाम अलगू चौधरी और जुम्मन था। आलू को और जुम्मन में बहुत गहरी दोस्ती थी धार्मिक और धन दौलत के परे जाकर इन दोनों की दोस्ती का बखान पूरे गांव में होता था।

जुम्मन के परिवार में एक बूढ़ी खाला थी, खाल के अपने बच्चे तो मर गए थे इस वजह से वह जुम्मन के साथ रहती थी। जब तक खाना की संपत्ति की रजिस्ट्री जुम्मन के नाम नहीं हुई थी तब तक जुम्मन का खूब ख्याल रखता था मगर जब संपत्ति की रजिस्ट्री हो गई तब उसने खाला को परेशान करना शुरू किया। 1 साल तो जैसे तैसे कट गया मगर उसके बाद बूढ़ी खाला से रहा न गया। उन्होंने जुम्मन से कहा कि उन्हें उनकी धन दौलत से महीने के खर्च देते हैं वह अपना खर्च खुद चला लेगी। लेकिन जुम्मन ने इससे इनकार कर दिया और पंचायत में जाने को कहा।

पंचायत में जब कोई व्यक्ति जाता है तो वह अपनी तरफ से एक व्यक्ति को पंच के रूप में चुन सकता है। बूढ़ी खाल से चला ना जा रहा था मगर इसके बावजूद वह पूरे गांव में घूम घूम कर हर किसी के सामने अपना रोना रो रही थी। हर कोई उसकी बात को टाल दे रहा था कोई भी जुम्मन के खिलाफ में खड़ा होना नहीं चाहता था। अंत में बूढ़ी खाला अलगू चौधरी के पास पहुंचती है। अलगू बताता है कि जुम्मन उसका बहुत अच्छा दोस्त है, इसलिए वह बूढ़ी खाला की तरफ से पंच बन सकता है लेकिन जुम्मन के खिलाफ कुछ नही बोलेगा।

आखिरकार पंचायत का दिन आया बूढ़ी खाला ने अपना पूरा दुख रोया और बताया कि किस तरह जुम्मन उसकी धन दौलत लेने के बाद उसका आदर सत्कार नहीं करता है और उसे खाने के लिए खाना नहीं देता है। पंचायत में बूढ़ी खाला को अपनी तरफ से कोई एक पंच चुनने को कहा। खाला अलगू चौधरी को अपना पंच चुना, जुम्मन मन की मन में खुश हो गया उसे लगा कि अब फैसला उसके हाथ में होने ही वाला है।

लेकिन जब अलगू चौधरी पंच बना तो उसने कहा कि जुम्मन को बूढ़ी खाला को गुजर बसर का पैसा देना होगा अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे सारी धन दौलत लौटा नहीं होगी। गांव में पंचायत को पंच परमेश्वर माना जाता था उनके मुंह से निकली वाणी को देवताओं की वाणी माना जाता था। फैसला हो गया और इसके बाद दोनों दोस्तों की दोस्ती टूट गई दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए।

कुछ समय बीता अलगू चौधरी दो बैल खरीद कर ले आया। मगर कहीं बाहर जाना पड़ा इस वजह से उसने अपने बैल साहूकार के पास रख दिए। लेकिन जब वह वापस आया तो दोनों बैल मार चुके थे। अलगू अपने बैलों का पैसा लेने के लिए साहूकार के पास गया तो साहूकार उल्टा पर ही चढ़ गया कि कैसा अशुभ बेल लाया था उसकी वजह से मेरे घर में चोरी हो गई और वह बहुत ही रोगी बल था और दोनों में जमकर लड़ाई होने लगी।

दोनों ने पंचायत बुलाई इस बार साहूकार को यह मौका दिया गया कि वह अपनी तरफ से एक पांच चुन सकता है। हर किसी को अलगू और जुम्मन की दुश्मनी के बारे में पता था इस वजह से साहूकार ने जुम्मन को अपना पंच चुना। जुम्मन भी मन ही मन खुश हो गया की पुरानी दुश्मनी का बदला लेने का वक्त आ गया है। मगर जैसे ही जुम्मन पंचायत के पास बैठा उसके मुंह से अपने आप अलगू चौधरी के पक्ष में फैसला निकल गया।

हर कोई चौक गया कि आखिर जुम्मन अलगू के पक्ष में फैसला कैसे सुना सकता है। लेकिन बाद में दोनों की दुश्मनी खत्म हो गई और जो मां ने बताया कि वह समझ गया है कि जब पंचायत के पास कोई बैठता है तो उसके मुंह से निकलने वाली बनी हमेशा परमेश्वर की वाणी होती है। वहां कोई भी व्यक्ति झूठ नहीं बोल सकता है।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने आपको सरल शब्दों में यह समझाने का प्रयास किया है की मुंशी प्रेमचंद की पांच सर्वश्रेष्ठ कहानियां क्या है और आपको कुछ अन्य साधारण कहानियों के बारे में भी बताया है अगर हमारे द्वारा सजा जानकारी को पढ़ने के बाद आप आसानी से मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें।

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